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Operating System क्या है और क्या काम करता है?

क्या आप जानते हैं कि Operating System ( What is Operating System in Hindi ) क्या है? अगर आप नहीं जानते हैं, तो भी घबराएं नहीं, हम इस...

क्या आप जानते हैं कि Operating System (What is Operating System in Hindi) क्या है? अगर आप नहीं जानते हैं, तो भी घबराएं नहीं, हम इसका जवाब देंगे और इसका जवाब कुछ और सवालों के साथ दिया जाएगा। जैसा कि हम जानते हैं कि हम एक इंसान हैं और एक इंसान का दिल है। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि दिल कैसे काम करता है, शायद ये भी नहीं पता होगा। मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि जैसे हम मनुष्यों के पास दिल है, वैसे ही Computer भी हैं और इसे तकनीकी भाषा में Computer Operating System (OS) कहा जाता है।
Operating System क्या है और क्या काम करता है?


दोस्तों इंसान के शरीर में बहुत से पार्ट्स हैं जो ज़िंदा रहने के लिए जरुरी हैं. लेकिन आत्मा ऐसी चीज़ है जो न रहे तो इंसान का शारीर किसी काम का नही.जब तक आत्मा होती है पूरा शरीर काम करता है. भले ही कोई पार्ट काम करे या न करे, इंसान जिन्दा रहता है. ठीक उसी तरह कंप्यूटर में भी आत्मा की तरह ही एक चीज़ होती है जिसे हम ऑपरेटिंग सिस्टम कहते हैं. कंप्यूटर क्या है ये तो आपको मालुम ही है. इसमें भी बहुत से पार्ट्स होते हैं. लेकिन जब तक ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं होगा कंप्यूटर चलेगा ही नही.

जब भी आप कोई Mobile या फिर Computer इस्तेमाल करते हो तो हमेसा आप बोलते रहते हो Android, Windows, Mac, Linux इत्यादि. तो ये सभी नाम एक एक आपरेटिंग सिस्टम के हैं. कभी Android kitkat तो कभी Android Oreo, या अगर Windows की बात की जाये तो इनको कोई बोलता है Windows 10, Windows 7, Windows 8, Windows XP इत्यादि. वैसे ही Mac OS में भी होते है. लेकिन इन सबके बारे में हर किसी को थोडा बहुत ज्ञान जरुर है, लेकिन किसी को ये नहीं पता ये Computer का दिल मतलब इस OS का काम क्या है. एक छोटा सा एहसास में आप लोगों को देना चाहूँगा की एक Operating System एक प्रकार का interface होता है end user और hardware के बिच. वैसे ये कितने प्रकार के हैं, ये कहाँ कहाँ इस्तेमाल होते हैं, इनके मुख्य काम क्या हैं के बारे में अगर आपको और अधिक जानना है तब आपको ये article आपरेटिंग सिस्टम क्या होता है. पूरा पढना होगा. तो बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं और Operating System in hindi के बारे में जानते हैं.

आपरेटिंग सिस्टम क्या है (What is Operating System in Hindi)?

Operating System को System Software भी बोला जाता है. इसको छोटे नाम से कभी OS भी बोला जाता है. इसको Computer का दिल बोला जाता है. Operating System एक System Software है, जो की user मतलब आप के और Computer Hardware के बिच में Interface जैसे काम करता है.

Operating System छोटे रूप मे इसे OS कहते है, एक ऐसा कम्प्युटर प्रोग्राम होता है, जो अन्य कम्प्युटर प्रोग्रामों का संचालन करता है. ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोक्ता (Users) तथा कम्प्युटर के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है. यह हमारे निर्देशो को कम्प्युटर को समझाता है. Operating System के द्वारा अन्य Software प्रोग्राम तथा Hardware का संचालन किया जाता है.

मै सीधे सीधे इस वाक्य को समझा देता हु, जब भी आप Computer को चलाते हो तब ये OS ही आपको Computer इस्तेमाल करने का जरिया देता है. जैसे आप गाना सुनते हो, word document के ऊपर double click करते हो, तिन चार Window खोलके बैठ जाते हो, Keyboard में कुछ लिखते हो, और कुछ file Computer में Save करते हो तो ये सब आप बिना Operating System के कभी नहीं कर सकते.

Function Of Operating System in Hindi

वैसे Computer बहुत सारे काम करता है, लेकिन सबसे पहले जब आप Computer को On करते हो तब Operating System पहले Main Memory मतलब RAM में load होता है और इसके बाद ये User Software को कोन कोन से Hardware चाहिए वो सब Allocate करता है. निचे OS के अलग अलग काम दिए गए हैं, उनके बारे में और Detail में जानते हैं.
उदाहरण के लिए हम एक घर ही ले लेते हैं. अगर घर बनाने के लिए ज़मीन ही न हो तो फिर ईंट, सीमेंट, रेत रहने से भी क्या फायदा? अब आप ही बताओ मुझे क्या आप घर बना लोगे बिना ज़मीन के? आपका जवाब होगा नहीं! ठीक उसी तरह आप कंप्यूटर चलाना चाहते है, आपके पास mouse, keyboard, printer सभी चीज़ें है लेकिन ऑपरेटिंग सिस्टम install किया हुआ नहीं है, तो जी हाँ अपने सही समझा की कंप्यूटर on ही नही होगा.
अगर आप शॉप से जाकर नया कंप्यूटर लेते हैं तो उसमे विंडोज 7 या 10 इनस्टॉल कर के देते हैं. मान लीजिए अगर आप बिना विंडोज इनस्टॉल किये उसे घर ले जाते हैं फिर आप समझ ले की आपको शॉप दुबारा जाना पड़ेगा. क्यों की आपका कंप्यूटर इसके बिना on होगा ही नहीं.
MS-Word, VLC player ये सब एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर होते हैं. जिस पे हम काम करते हैं. और जिस सॉफ्टवेयर से कंप्यूटर काम करता है उसे ही सिस्टम सॉफ्टवेयर बोलते हैं. और सिस्टम सॉफ्टवेयर यहाँ ऑपरेटिंग सिस्टम ही है. अब आप समझ गए होंगे ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है चलिए इसके बारे में कुछ और जानकारी लेते हैं.

ऑपरेटिंग सिस्टम के क्या फंक्शन हैं (Function of Operating System in Hindi)

ऑपरेटिंग सिस्टम की वजह से ही कंप्यूटर काम करता है लेकिन ऑपरेटिंग सिस्टम खुद कैसे काम करता है ये जानना भी जरुरी है. जब कंप्यूटर start होता है तब से लेकर कंप्यूटर के off होने तक सारे काम को अपने ऊपर संभाल कर ये कैसे चला पाता है. ये सोचने वाली बात है. तो चलिए जानते हैं की कंप्यूटर के फंक्शन क्या होते हैं (Function of Computer in Hindi).
  1. Memory management
  2. Processor management
  3. File management
  4. Device management
  5. Security
  6. Control over System Performance
  7. Job Accounting
  8. Error detecting Aids
  9. Coordination between other software and users

Memory Management

प्राइमरी मेमोरी और सेकेंडरी मेमोरी को मैनेज करने के प्रोसेस को ही मेमोरी मैनेजमेंट बोलते है. प्राइमरी मेमोरी जिसे हम RAM के नाम से जानते हैं जो की volatile मेमोरी होता है. और जो भी डाक्यूमेंट्स में काम करते हैं उसे ये temporary store करता रहता है. Main मेमोरी में words या फिर bits के बहुत सारे array होते हैं जिनमे से हर एक का अपना एक address होता है. Main memory जो होता है वो बहुत ही fast होता जिसे CPU से डायरेक्ट एक्सेस कर सकते हैं.
जब हम किसी सॉफ्टवेयर को डबल क्लिक कर के ओपन करते हैं तो उसका में memory में होना जरुरी है. एक हलकी झलक देख लेते हैं की ये और क्या क्या काम करता है.
  • प्राइमरी मेमोरी के हर स्टेप को ये रिकॉर्ड करता है. जैसे कितने मेमोरी का प्रयोग हो रहा है और कौन इस्तेमाल कर रहा है. जैसे हम chrome इस्तेमाल करते हैं तो वो कितना मेमोरी खा रहा है और साथ ही म्यूजिक प्लेयर चल रहा है तो वो भी अलग से RAM की कुछ मेमोरी को इस्तेमाल करेगा. ये सारी जानकारी को ये दिखाता है.
  • Multi programming में OS ये निर्णय लेता है की कौन से प्रोसेस को कितना मेमोरी और कब देना है.
  • जब अलग अलग प्रोग्राम को स्टार्ट किया जाता है तो प्रोग्राम के लिए मेमोरी को डिस्ट्रीब्यूट करता है.
  • जब कोई प्रोग्राम बंद होता है तो ये मेमोरी को वापस conserve करता है.

Processor Management

Multiprogramming envronment में ऑपरेटिंग सिस्टम ये decide करता है की किस प्रोसेस को प्रोसेसर उपयोग करने के लिए देना है कब देना और कितने देर के लिए देना है. इस function को process scheduling भी बोलते है. ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोसेस मैनेजमेंट करने के लिए निचे दी गई activities को परफॉर्म करता है.
  • OS प्रोसेसर के सारे काम को track करता रहता है और हर प्रोसेस के status को रिकॉर्ड करता रहता है. इस टास्क को जो चलाते है उसे ट्रैफिक कंट्रोलर कहा जाता है.
  • ऑपरेटिंग सिस्टम किसी प्रोसेस के लिए प्रोसेसर को डिस्ट्रीब्यूट करता है.
  • जब कोई प्रोसेस होना बंद होता है तो उसे वापस ले लेता है.

Device Management

आपको ये तो मालुम होगा की हर इनपुट और आउटपुट डिवाइस इनस्टॉल करने के लिए साथ में ड्राइवर मिलता है. इन सभी इनपुट या एक्सटर्नल डिवाइस प्रयोग करने के पहले हमें ड्राइवर इनस्टॉल करना पड़ता है. अगर आप ड्राइवर इनस्टॉल नहीं करते हैं तो कंप्यूटर उस डिवाइस को पहचान नहीं पाता है. और इसकी वजह से डिवाइस काम भी नहीं करती.
वैसे लगभग विंडोज 7 तक के ऑपरेटिंग सिस्टम में ड्राइवर सभी devices के लिए इनस्टॉल करना होता था लेकिन अभी के लेटेस्ट विंडोज में बहुत कम devices के लिए ड्राइवर इनस्टॉल करने पड़ते हैं.
ऑपरेटिंग सिस्टम डिवाइस कम्युनिकेशन को उसके ड्राइवर के जरिये मैनेज करता है. चलिए देख लेते हैं की आखिर perating system device management कैसे काम करता है.
  • ये सभी devices को ट्रैक करता है. devices को मैनेज करने के लिए जिस प्रोग्राम को इस्तेमाल करता है उसे I/O कंट्रोलर कहा जाता है.
  • OS इसका भी निर्णय लेती है की कौन से प्रोसेस को डिवाइस कब और कितने समय के लिए देना है. उदाहरण के लिए हम फोटोशोप प्रोग्राम को लेते हैं. उसमे फोटो प्रिंट करने के लिए जैसे ही प्रिंट पर क्लिक करते हैं तो OS प्रिंटर जो की एक आउटपुट डिवाइस है उसे उस प्रोसेस करने के लिए थोड़ी देर के लिए execute करता है. जब फोटो प्रिंट हो जाता है तो फिर वो डिवाइस को वापस ले लेता है.
  • जितना हो सके उतनी ही देर डिवाइस को प्रयोग करता है जैसा की मैंने ऊपर के उदारण में बताया है.
  • Device जब काम पूरा कर लेता है तो फिर उसे deactive कर के रखता है.

File Management

फाइल को आसानी से प्रयोग करने के लिए हम फोल्डर बनाकर उसके अंदर रखते हैं. इससे हमें किसी भी फाइल को केटेगरी wise फोल्डर बनाकर रख के कभी भी उयोग करने में आसानी होती है. Directory को ही हम फोल्डर भी बोलते है.
फ़ोल्डर के अंदर और भी फोल्डर और फाइल बनाकर रखते है। इस तरह से और भी काम कौन कौन से काम OS करता है ये हम जानते हैं.
  • ऑपरेटिंग सिस्टम हर इनफार्मेशन को ट्रैक करता है. इसके साथ ही फाइल का लोकेशन क्या है, फाइल कब बना कितने साइज का है , किस यूजर ने बनाया था ये सारी जानकारी भी ये रखता है. इस सारे प्रोसेस को जो प्रोग्राम परफॉर्म करता है उसे हम फाइल सिस्टम बोलते है.
  • OS ये decide करता है की किसको resource मिलेंगा.
  • Resource को आपस में बाँट देता है.
  • जब उपयोग में न हो तो resources को वापस ले लेता है.

Security

जब हम और कंप्यूटर उपयोग करते हैं तो चाहते हैं की सिर्फ हम ही उयोग कर सके. तो इसके लिए ऑपरेटिंग सिस्टम हमें सिक्योरिटी भी देती है. हम अपने लिए users क्रिएट कर सकते हैं और उसे पासवर्ड डाल कर सेफ भी रख सकते हैं. और अगर एक से ज्यादा यूजर हैं तो भी हम अपने लिए एक पर्सनल यूजर अलग से बनाकर उपयोग कर सकते हैं.
इससे ये फायदा होता है की सिस्टम तो वही होता है लेकिन हमारे पर्सनल डाटा को हम छुपा के, सुरक्षित और lock कर के आसानी से रख सकते हैं. ये ऑपरेटिंग सिस्टम हमें सारी सुविधाएं देता है.

Control over system performance

कभी कभी आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा की आपने किसी प्रोग्राम को शुरू करना चहा होगा और वो थोड़ी देर बाद शुरू हुआ हो. या फिर अपने किसी फाइल को स्टोर करने की कोशिस की होगी और वो बहुत देर तक प्रोसेस कर रही होगी. इन सभी परफॉरमेंस में होने वाले delays या देरी को OS रिकॉर्ड करता है और ये भी रिकॉर्ड करता है की किसी प्रोसेस को पूरा करने के लिए सिस्टम ने कितने देर बाद response किया.

Job Accounting

OS बहुत सारे काम तो करता है साथ ही ये भी काम करता है की किसी यूजर ने कंप्यूटर शुरू होने के बाद बंद करने तक कौन कौन से काम किये. और ये भी ट्रैक करता है की किस फाइल में काम किया है.

Error Detecting Aids

काम करते करते बहुत बार ऐसा होता है की सॉफ्टवेयर और प्रोग्राम हैंग हो जाते हैं. और ये भी होता है की कुछ error होने की वजह से बिच में ही सॉफ्टवेयर बंद हो जाता है। इन सारी errors को भी OS ट्रैक कर के रखता है.

Coordination Between other Softwares and Users

कंप्यूटर के अंदर जो प्रोग्रामिंग लैंग्वेज काम करते हैं उनके और users के दिए हुए कमांड्स और इनपुट के बिच में OS ही co-ordination बनाता है.जैसे जम हम “आ” टाइप करते हैं तो उसे सिस्टम (0,1) कोड के अनुसार समझता है की हमने क्या लिखा है. फिर उसे प्रोसेस कर के प्रोग्रामिंग लैंग्वेज समझता है फिर उसे समझ के आउटपुट डिवाइस के जरिये हमें शो करा देता है. ये सारे परफॉरमेंस के लिए बिच में जो काम करने का प्लेटफार्म देता है वो OS ही होता है.

ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार (Types of (OS) Operating System in Hindi)

दुनिया में हर रोज़ कुछ न कुछ बदलाव होता रहता है. ठीक उसी तरह कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम भी बदलती रहते हैं. टेक्नोलॉजी और एडवांस होती जा रही है. अब तो ऐसा दौर आ चुका है की अभी आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस पर भी साइंटिस्ट ने काफी सफलता पा ली है.
अब अगर OS में बदलाव न हो तो ये मुमकिन नहीं है. नासा तो अब मंगल तक पहुँच चुका है. तो आप इसका अंदाज़ा इसी से लगा सकते हैं की क्या आप घर में जो ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल करते हैं उसका इस्तेमाल राकेट साइंस में होता होगा? जी नहीं इसके लिए बहुत ही एडवांस ऑपरेटिंग सिस्टम जो अल्टीमेट फीचर्स वाले होते हैं उनका इस्तेमाल किया जाता है. इसी बात से आप समझ गए होंगे की ऑपरेटिंग सिस्टम सिर्फ एक तरह का नहीं होता.
इसकी उपयोग और जरूरत के अनुसार इसके अलग अलग प्रकार होते हैं. जैसी जरुरत वैसे ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. तो चलिए जानते हैं की ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार कितने हैं ( Types of operating system in Hindi).
  1. Batch operating System
  2. Network Operating System
  3. Time-Sharing Operating System
  4. Distributed Operating System
  5. Real-Time Operating System

Batch operating System

बैच ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर कंप्यूटर के साथ डायरेक्टली इंटरैक्ट नहीं करते हैं. इसमें एक ऑपरेटर होता है जो एक तरह के jobs को ग्रुप कर के जरूरत के अनुसार batches बना देती है. एक तरह के जरूरत वाले jobs को छांट कर के अलग अलग बैच में बनाना ऑपरेटर की जिम्मेदारी होती है.
Batch Operating System ke Advantages
  • ये जानना बहुत मुश्किल होता है किसी जॉब को complete होने में कितना टाइम लगेगा, बैच सिस्टम के प्रोसेसर ही जानते हैं की लाइन में लगे हुए जॉब को कम्पलीट होने में कितना टाइम लगेगा.
  • इस सिस्टम को बहुत सारे यूजर शेयर कर सकते हैं.
  • Batch system idle time बहुत कम होता है.
  • इस सिस्टम में बार बार बड़े कामो को आसानी से मैनेज करने की capacity होती है.
Disadvantages of Batch System
  • कंप्यूटर और यूजर के बिच डायरेक्ट इंटरेक्शन नहीं होता.
  • कंप्यूटर ऑपरेटर्स को बैच सिस्टम के बारे में बहुत अच्छी जानकारी होना जरुरी है.
  • Batch system को debug करना बहुत बड़ी प्रॉब्लम होती है.
  • ये महँगा होता है.
  • जब कोई जॉब एक बार फेल हो जाता है तो उसे दुबारा कम्पलीट करने के लिए लाइन में लगना पड़ता है. उसके कम्पलीट होने में काफी समय लग सकता है.

Network Operating System

ये सिस्टम सर्वर पर काम करते हैं। जिन में data, user, groups, application, security, और बाकि सभी नेटव्रकिंग सिस्टम को मैनेज करने की क्षमता होती है. किसी भी कम्पनी में अगर आप जायेंगे तो आपको वहाँ बहुत सारे कम्प्यूटर्स दिखेंगे जो एक प्राइवेट नेटवर्क के रूप में काम करते हैं. ये सारे कम्प्यूटर्स एक दूसरे से कनेक्टेड होते हैं. और इस तरह ये एक सर्वर के ऊपर काम करते हैं. इसमें आप फ़ाइल, प्रिंट, लोगिन किसी भी सिस्टम से एक्सेस कर सकते हैं.
उदाहरण: मैं एक ऑटोमोबाइल कंपनी में जॉब करता हूँ. यहाँ बहुत सारे कंप्यूटर सिस्टम हैं और सभी एक सर्वर से जुड़े हैं. और इस सर्वर पर स्टोर किये फाइल्स हम कहीं से भी खोल कर इस्तेमाल कर लेते हैं यानी किसी भी सिस्टम से हम सर्वर पर रखे फ़ाइल में काम कर लेते है. यहाँ तक की प्रिंट निकालने के लिए भी किसी भी सिस्टम से जाकर हम कॉमन प्रिंटर से प्रिंट निकल लेते हैं. इसके अलावा एक ही लोगिन ID को किसी भी सिस्टम में लोगिन के लिए इस्तेमाल कर लेते हैं.
Advantages
  • इसके centralized server बहुत स्थिर होते है
  • सारे सिक्योरिटी issue को सर्वर से ही मैनेज किया जा सकता है.
  • नए अपडेट को एक साथ सभी कम्प्यूटर्स में इम्प्लीमेंट आसानी से कर लिया जाता है.
  • आप किसी भी सिस्टम से दूसरे सिस्टम में VNC की मदद से रिमोटली एक्सेस कर के काम कर सकते हैं.
Disadvantages
  • इसमें उपयोग होने वाले सर्वर बहुत महंगे होते हैं.
  • हर तरह के ोपार्टिओं के लिए सेंट्रलाइज्ड सिस्टम पर देपेंद रेहना पड़ता है।
  • इसकी मेंटेनेंस और उपदटेस रेगुलरली होना जरुरी है।

Time Sharing Operating System

इस तरह के OS में हर टास्क को पूरा करने के लिए कुछ टाइम दिया जाता है ताकि हर टास्क smoothly काम कर सके. इसमे हर यूजर सिंगल सिस्टम का इस्तेमाल करता है तो इससे CPU को टाइम दिया जाता है. इस सिस्टम को Multitasking सिस्टम भी बोला जाता है. इसमें जो टास्क होता है वो सिंगल यूजर से भी हो सकता या फिर मल्टी यूजर से भी हो सकता है.
इस में हर टास्क को execute करने के लिए जितना टाइम लगता है उसे quantum बोलते है. हर टास्क को कम्पलीट करने के बाद OS फिर अगले टास्क को शुरू कर देता है.
Advantages
  • हर टास्क को पूरा करने के लिए बराबर मौका दिया जाता है.
  • सॉफ्टवेयर के डुप्लीकेशन होने का बहुत कम चांस होता है.
  • CPU idle time को इसमें कम किया जा सकता है.
Disadvantages
  • इसमें reliability का प्रॉब्लम होता है.
  • हर एक को इसमें security और integrity का ख्याल रखना पड़ता है.
  • इसमे डाटा कम्युनिकेशन की प्रॉब्लम कॉमन है.
Time-sharing, operating system के उदाहरण हैं:- Unix

Distributed Operating System

कंप्यूटर टेक्नोलॉजी की दुनिया में इस तरह का सिस्टम एक एडवांस टेक्नोलॉजी है. जो हाल ही में शुरू किया गया है. इसे पूरी दुनिया में अपनाया गया है और हर कोने में इस्तेमाल किया जाने लगा है.
जब बहुत सारे autonomous यानि इंडिपेंडेंट कम्प्यूटर्स को जोड़कर एक सिंगल सिस्टम की तरह इस्तेमाल किया जाता है तो इसे डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम बोला जाता है. ऐसा बिलकुल भी जरुरी नहीं की सारे कम्प्यूटर्स एक ही जगह पर हों. ये अलग अलग जगह रह कर भी कनेक्टेड हो सकते हैं.
आपने LAN और WAN तो जरूर सुना होगा. अगर नहीं जानते तो मैं बता देता हूँ. जब बहुत सारे कम्प्यूटर्स एक ही जगह पर होते हैं और आपस में कनेक्टेड होते हैं तो इसे LAN डिस्ट्रीब्यूट्स सिस्टम कहेंगे. और जब बहुत सारे कम्प्यूटर्स अलग अलग जगहो से एक साथ कनेक्टेड होते हैं उसे WAN डिस्ट्रिब्यूटेड सिस्टम बोलते हैं.
Advtantages
  • अगर एक सिस्टम फेल हो जाता है तो पुरे नेटवर्क में कोई फर्क नहीं पड़ता है. सभी सिस्टम एक दूसरे से फ्री होते हैं डिपेंडेंट नहीं होते.
  • Email से डाटा एक्सचेंज की स्पीड बढ़ जाती है.
  • Resources shared होते हैं इसीलिए काम बहुत फ़ास्ट और बेस्ट होता है.
  • Data load होने में बहुत कम समय लगता है.
  • Data processing delay कम करता है

Real-Time Operating System

रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम ऐसा डाटा प्रोसेसिंग सिस्टम होता है जिसमे किसी इनपुट के लिए प्रोसेस और उसका रिस्पांस टाइम बहुत ही कम होता है. या यूँ कहे तो इस तरह के सिस्टम का इस्तेमाल करके हम किसी डाटा को इंटरनेट से लाइव देखते हैं. इस सिस्टम का इस्तेमाल कर के लंदन में बैठा एक स्पेशलिस्ट डॉक्टर अमेरिका में किसी मरीज का ऑपरेशन कर लेता है. इसके लिए वो रोबोटिक हाथों का इस्तेमाल करते हैं. ये इसी सिस्टम की वजह से मुमकिन हो सका है
इसमें इनपुट करने के बाद आउटपुट होने तक के टाइम को Response time कहा जाता है. इस तरह के सिस्टम का इस्तेमाल करने के कुछ उदारण ये हैं. Scientific experiments, Medical Imaging system, Industrial control system,Weapons system,Robot, Air traffic control system इत्यादि.
Real-Time Operating Systems 2 तरह के होते हैं.
1. Hard Real-Time Systems
ये ऐसा सिस्टम है जिसमे समय सीमा होती है. जितना टारगेट टाइम दिया होता है वो उसी टाइम में अपना टास्क पूरा कर लेता है. इसमें गलती होने की कोई गुंजाईश नहीं होती है.इस तरह के सिस्टम का इस्तेमाल Life save करने के लिए किया जाता है। जैसे parachutes, air bags, medical operation.तो अब आप समझ सकते हैं की इस तरह के सिस्टम कितने स्ट्रांग होते हैं.
2. Soft Real-Time Systems
इस तरह के सिस्टम में किसी तरह की समय सीमा नहीं होती है. अगर कोई टास्क चल रहा है तो वो ज्यादा टाइम भी ले रहा है तो इसमें कोई प्रॉब्लम नहीं होता है. तो दोस्तों अब आप बहुत अच्छे तरीके से जान चुके हैं की ऑपरेटिंग सिस्टम कितने तरह के होते हैं. और बताये गए सभी types of OS in Hindi काफी महत्वपूर्ण हैं. ये समझने के लिए की ऑपरेटिंग सिस्टम कैसे काम करता है चलिए अब आगे जानते हैं ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ charactristics.

ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं (Characteristics of Operating system)

  • ऑपरेटिंग सिस्टम बहुत सारे सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का एक ग्रुप होता है.जो आधार बनाता है जिसमे दूसरे प्रोग्राम रन कर सकते हैं
  • जितने भी सॉफ्टवेयर होते हैं उन्हें इनस्टॉल करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम का होना बहुत जरुरी है.
  • कंप्यूटर से कनेक्टेड सभी इनपुट और आउटपुट डिवाइस को ऑपरेटिंग सिस्टम ही कण्ट्रोल करता है.
  • ये यूजर और हार्डवेयर के बिच इंटरफ़ेस के रूप में काम करता है. यानि हमारे किये जाने वाले कामों को जब कीबोर्ड और माउस से हम इनपुट करते हैं तो ऑपरेटिंग सिस्टम इसे कण्ट्रोल करता है और फिर इसे आउटपुट डिवाइस के जरिये हमें शो कर देता है.
  • अगर हम अपने डाटा को सेफ्टी के साथ रखना चाहते हैं तो ये हमें सिक्योरिटी भी देता है. इसके लिए ये हमें बहुत सारे फीचर्स भी देता है.
दोस्तों अब आप बहुत अच्छे से समझ गए होंगे (function of operating system in Hindi) ऑपरेटिंग सिस्टम क्या काम करता है.

तो दोस्तों आज की जानकारी काफी महत्वपूर्ण है. तो ये खास Student के लिए ज्यादा जरुरी है. अब अगर Exam में ये सवाल आता है आपरेटिंग सिस्टम क्या है (What is Operating System in Hindi) और Explain Function and Types of Operating System in Hindi तो आप आसानी से इसका जवाब दे सकते हो. वैसे मेरे हिसाब से OS काफी तेजी से नए Features लेके आ रहा हैं, जैसे Windows 10 की ही बात कर लो. क्यूंकि शुरुवात में ही बताया था की OS, Computer का दिल होता है. कोई सवाल आप पूछना चाहते हो तो निचे Comment Box में जरुर लिखे और कोई सुझाव देना चाहते हो तो जरुर दीजिये. हमारे Blog को अभी तक अगर आप Subscribe नहीं किये हो तो जरुर Subscribe करें.

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